मेरे जागने से पहले ही सारे ख्वाब ,न जाने कहाँ खो जाते हैं
मुझे तेरे अलावा बाकी सभी याद आते हैं।
मेरे गुमनाम मुहब्बत का मुकद्दर तो देखो,
चिरागों के जलते हुए भी अँधेरे नजर आते हैं।
फासले मिटाने को जब भी चला हूँ ,दम भर
क्यूँ हम नदी के दो किनारे नजर आते हैं ।
भीड में जब भी देखता हूँ कुछ स्याह चेहरे
... आखिर वो क्यूँ हमारे नजर आते हैं ।
(सौरभ)
मुझे तेरे अलावा बाकी सभी याद आते हैं।
मेरे गुमनाम मुहब्बत का मुकद्दर तो देखो,
चिरागों के जलते हुए भी अँधेरे नजर आते हैं।
फासले मिटाने को जब भी चला हूँ ,दम भर
क्यूँ हम नदी के दो किनारे नजर आते हैं ।
भीड में जब भी देखता हूँ कुछ स्याह चेहरे
... आखिर वो क्यूँ हमारे नजर आते हैं ।
(सौरभ)